प्राथमिक शिक्षा

केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने प्राथमिक शिक्षा को और अधिक सुदृढ़ करने की दृष्टि से एक विशिष्ट कार्य योजना हेतु सुझाव देने के उद्देश्य से 1994 में एक समिति का गठन किया । समिति ने शिक्षण कार्य और अधिगम आधारित गतिविधियों को सुव्यवस्थित करने के संबंध में कुछ सिफारिशें प्रस्तुत की । इन सिफ़ारिशों के आधार पर केन्द्रीय विद्यालय संगठन ने प्राथमिक स्तर पर शिक्षण की गतिविधि आधारित पद्धति को अपनाया और विद्यार्थियों के प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए ग्रेड प्रणाली शुरू की गई । मूल्यांकन का उद्देश्य विद्यार्थी को कक्षा में रखने के बजाय उसकी क्षमताओं में सुधार करना है । प्राथमिक कक्षाओं में विद्यार्थियों को घर जैसा माहौल प्रदान करने और अधिगम को और अधिक रोचक बनाने के लिए 6 सप्ताह का स्कूल तैयारी कार्यक्रम तैयार किया गया । कार्यक्रम के अंत में वांछित लक्ष्य की सफलता का मूल्यांकन करने के उद्देश्य से संबंधित शिक्षकों द्वारा निम्न बिन्दुओं के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है :-

  • पर्यावरण की पहचान
  • आत्मविश्वास
  • पर्यवेक्षण
  • सिस्टम/सिस्टम कॉपी
  • समन्वय
  • वर्गीकरण
  • क्रमबद्धता
  • अभिव्यक्ति
  • काबिल
  • सृजन कौशल

प्राथमिक शिक्षा का सुदृढ़ीकरण

यशपाल समिति की सिफारिशों के अनुसरण में केन्द्रीय विद्यालयों में 6-8 सप्ताह का स्कूल तैयारी कार्यक्रम, मूल्यांकन के लिए गतिविधि आधारित शिक्षण और ग्रेड प्रणाली को अपनाया गया । ग्रेड सिस्टम का उद्देश्य विद्यार्थियों को एक ही कक्षा में रखने के बजाय उनके कौशल और दक्षता में सुधार करना है । कक्षा 1 से 5 तक के लिए पांच सूत्रीय कार्यक्रम को अपनाया गया है । ‘स्कूल तैयारी कार्यक्रम’ और कक्षा 1 से 5 को पढ़ाने वाले प्राथमिक शिक्षकों के लिए एक-एक पुस्तिका प्रधानाध्यापकों और शिक्षकों को आवश्यक अभिविन्यास कार्यक्रम प्रदान करने के लिए मुद्रित की गईं ।